Geeta: हमें कर्मों का फल मिलता है या नहीं ? 5 learning To give the results of your karma
जय श्री कृष्णा जय भगवत गीता
जैसा कि हमने अपने पीछे आर्टिकल्स में कर्म की बातें की थी और कर्म और अर्जुन के गीता उपदेश के बारे में बात की थी यह आर्टिकल हमारा कर्म के बारे में ही होने वाला है जो एक अलग बात है इस आर्टिकल में हुई है कि हम यह बात करेंगे कि हमारे कर्म हमें फल कैसे देते हैं क्या हमें कर्मों का फल मिलता है या नहीं मिलता ? क्या कर्म करने का कोई भी फायदा है या नहीं है ? इस आर्टिकल का टॉपिक होने वाला है की क्या मैं काम करूं तो मुझे फल मिलेगा?
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हमें कर्मों का फल मिलता है या नहीं ?
अच्छा आप मुझे यह बताइए की दुनिया में कितने प्रकार के लोग होते हैं शायद इस दुनिया में अब विभिन्न प्रकार के लोगों से मिले होंगे उनसे बातचीत की होगी और उनके साथ रहे होंगेl दुनिया में विभिन्न प्रकार के लोग होते हैं और हम उन विभिन्न प्रकार के लोगों को दो श्रेणियां में बाँट देते हैं lएक अच्छे प्रकार के लोग और एक बुरे प्रकार के लोग यह अच्छे और बुरे प्रकार के लोग केवल और केवल हमारे खुद के जीवन के एक्सपिरिएंसेस पर ही डिपेंड करता है कि वह इंसान अच्छा है या फिर बुरा है l
वह व्यक्ति जिसे हम अच्छा मन कर बैठे हैं फिर हमने अपने जीवन में उसे अच्छा मान लिया है यदि हम उसके लिए कुछ अच्छा करते हैं तो वह व्यक्ति हमारे लिए हमारी अच्छाई का बदला अच्छाई से ही देता है l
वह व्यक्ति जिसके बारे में हम अच्छी विचार नहीं रखते हैं अगर हम उसके लिए कुछ अच्छा करते हैं तो वह हमें हमारा बदला बुराई से ही चुकाएगा तो अब आप मुझे यह बताइए कि यदि आप उसे व्यक्ति के साथ जिसे आपने अच्छा नहीं माना हुआ है उसके साथ कुछ अच्छा है या भलाई करते हैं और वह उसकी वापसी आपको बुराई के रूप में करता है तो आप क्या करेंगे ?आपकी विचारधारा क्या होगी उसके बाद क्या आप यह सोचेंगे कि मेरे कर्मों में प्रॉब्लम थी मेरे कारण ठीक नहीं थे तो क्या आप कभी करना छोड़ देंगे ?
एक बुरे अनुभव से कर्म करना छोड़ दें ?
केवल जीवन के एक अनुभव को लेकर हम यह मान ले कि वह कल अच्छा नहीं था या कर्म करने का कोई फायदा नहीं है यह तो गलत है यह तो बहुत ही गलत बात है lसिर्फ जीवन की एक अनुभव के आधार पर अपने कर्मों को इतना बड़ा नाम दे दिया lअपने कर्मों को यह इतना बड़ा आयाम स्थापित कर लिया lकेवल एक अनुभव जीवन का अच्छा नहीं हुआ इसका मतलब यह तो नहीं कि हम कर्म करना छोड़ देंगेl
कर्मों का फल मिलता है
एक बार की बात है एक छोटा सा बच्चा जो जूते पोलिश किया करता था वह जूते पॉलिश कर रहा थाl घर में बहुत प्रॉब्लम चल रही थी l मां बीमार थी और मां की दवाइयां के पैसे भी नहीं थे lवह बैठा हुआ था बस इंतजार कर रहा था किसी के आने का जो उसके कर्म को एक नया आयाम दे सकेl क्या करता बेचारा जीवन की कठिनाइयों से निराश होकर यह काम कर रहा था कि कहीं ना कहीं उसे मां के लिए ,अपने घर को चलाने के लिए कुछ पैसे जुटा सकेl
वही जब वह जूते पॉलिश कर रहा था तभी उसने देखा एक बूढ़ा सा आदमी कोशिश कर रहा था सड़क को पार करने की लेकिन वह कर नहीं पा रहा था क्योंकि बहुत ज्यादा ट्रैफिक थी lवह उठा और उसने उसे बूढ़े आदमी का हाथ पकड़ा और उसकी बड़ी सी सड़क को पर करवाया lजब वह बूढ़ा आदमी दूसरे छोर पर पहुंच गया तो उसने उसे उसका नाम पूछा lलड़के ने खुश होकर बताया l
बूढ़े आदमी ने अपनी जेब में से हजार रुपए निकाल और हजार रुपया उसको दे दिया तो बूढ़े आदमी ने उसको बोला कि बच्चा यह मेरा आशीर्वाद है तुझे lइसको रख ले तब उसे लड़के ने उसे कहा नहीं नहीं अगर आप मेरे को आशीर्वाद देना ही चाहते हैं तो आप एक कम कीजिए जिसे मैं आपकी सहायता आज की है आप भी किसी की सहायता कर देना l उस बूढ़े आदमी को बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन खुशी भी हुई कि बच्चों में कितने संस्कार है और बूढ़ा आदमी अपनी कार में निकल गया lबच्चा वापस आकर अपने काम में लग गया l
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तभी वह बूढ़ा आदमी एक मार्केट में जाता है उसे मार्केट में एक औरत बैठी हुई थी lवह औरत बहुत जोर जोर से खास रही थी और अपना फल सब्जियों का टोकरा लेकर बैठी थी तभी वह बूढ़ा आदमी रुका और उसे वह बात याद आई जो उसे बच्चों ने उसको दी थी कहीं थी lवह बड़ा आदमी अपने कार से निकला और उसने उसे औरत से पूछा कि तुम क्यों खास रही हो? तुम तो ठीक नहीं लगती तुम्हारी तबीयत खराब है, तो उस औरत ने कहा हां मेरी तबीयत खराब है तो उस आदमी ने पूरा फल सब्जियों का टोकरा ले लिया और ₹2000 दिएl
औरत खुश हो गईl औरत ही सोच रही थी कहां पूरा-पूरा हफ्ता कोई आता नहीं था , लेकिन आज एक ही दिन में कुछ ही पलों में पूरे हफ्ते की कमाई हो गई जब वह घर गई घर जाकर उसने थोड़ा आराम किया और थोड़ी ही देर बाद उसका बेटा घर आया जब उसका बेटा घर आया तो उसके बेटे ने अपनी मां से पूछा मां तुम्हारी तबीयत कैसी है? मां ने बोला बेटा आज तो बहुत ही अच्छा दिन था आज एक भले आदमी ने मेरा सारा टोकरा एक बार में ही मुझसे ले लिया और बदले में ₹2000 दे दिएl मैं बहुत खुश हूं बेटा l
तब उस ने भी अपनी एक बात बताएं जब वह जूता पॉलिश कर रहा था और एक आदमी से पैसे देना चाह रहा था l यह वही आदमी था जो बच्चों को पैसे वैसे देना चाह रहा था लेकिन बच्चे ने नहीं लिए उसने उसे बोला कि आप किसी की सहायता कीजिए तो मुझे मेरा आशीर्वाद मिल जाएगा l
हमारे कर्म लौटते हैं
देखा आपने किस्मत उसे बूढ़े आदमी को कहां लेकर गई उसकी खुद की मां के पासl जैसे उसने उस बूढ़े आदमी की सहायता की थी ऐसे ही उसे सहायता का फल इस समय उसे मिल गयाल लेकिन उसको डायरेक्ट नहीं मिल पाया उसको उसे तरह मिला जिस तरह वह करना चाहता था ,उसकी मां के रूप में l
तो देखा अपने कर्मों का फल मिलता है कर्मों का फल अवश्य मिलता है lदेर सवेर से ही किंतु आपके घर जो अपने किए हैं, जो अपने कमाए हैं, उनकी कमाई अपने की है वह खाली नहीं जाते lसच्चाई तो यह है कि कर्म पर बहुत बलवान है और यह कर्म समय को बलवान बनाता है और समय हमारी किस्मत को बोल देता है l
अच्छा एक बात बताओ यदि आपके साथ कोई भलाई करें तो क्या आप उसका बदला बुराई से दोगे या फिर आपके साथ कोई बुराई करें तो फिर आपको उसका बदला क्या बुराई से ही दोगे? नहीं ना ,क्योंकि आप एक अच्छे व्यक्ति हो आप एक अच्छे इंसान हो, जो अच्छे मानवता को विकसित कर रहा है lहर प्रकार के लोग होते हैं और हर प्रकार के लोगों के कारण ही हम कर्मों को भी मार देते हैं लेकिन कर्मों को मारा नहीं जा सकता l
कर्म एक गुलदस्ता है
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कम तो केवल एक ही होते हैं जैसा ही आप कर्म करोगे वैसे ही आपको फल मिलेगा किंतु फल मिलेगा जरूर , कर्म एक फूल है ,गुलदस्ता है यह वह गुलदस्ता है जो रखा रहता है लेकिन उसको विभिन्न प्रकार के व्यक्ति विभिन्न प्रकार के लोग जाकर खरीद लेते हैं और उन कर्मों को, कैसे उसका प्रयोग करना है यह पूरी तरह डिपेंड करता है उसे व्यक्ति परl एक व्यक्ति एक गुलदस्ते को लाता है और उस गुलदस्ते को वह अपने घर जाकर ,अपने घर में रखे हुए एक पॉट में लगा देता है और उस रोज पानी देता है जिससे उसमें फुल मुरझाते नहीं है और खुशबू देने लगते हैं l
पूरा घर सदाबहार हो जाता है यह उसे व्यक्ति के ऊपर है कि उसमें उसे गुलदस्ते को ,उसने उन कर्मों को कैसे उसे किया lउन्हें उसने उन कर्मों को क्या किया lऔर ऐसे ही एक और व्यक्ति है जो एक और गुलदस्ता लेता है और उस गुलदस्ते को वह अपनी कार में रख देता है और उसके बाद भूल जाता है और उसके बाद वह रखा रहता है फूल मुरझा जाते हैं और उन मुरझाए फूलों से सिर्फ टूटे हुए, बिखरे हुए फूल झुलस के गिर जाते हैं और वहां किसी प्रकार की कोई खुशबू नहीं आती l
खुशबु के बजाए वहां एक दुर्गंध आने लगती है उन मुरझाए हुए फूलों से lउस व्यक्ति ने उसे गुलदस्ते को जिसने कार में रखा, देखा आपने कर्म एक गुलदस्ता है अगर आप अच्छाई के लिए उसका यूज़ करेंगे तो अच्छा ही होगा और अगर उसकी बुराई के लिए करेंगे तो वह बुरा ही होगा l
कर्म तो केवल कम होता है और उनका फल भी मिलता है अगर सुगंधित कर्म करेंगे तो सुगंधित फल मिलेगा अगर दुर्गंध वाले कम करेंगे तो हमें दुर्गंध का फल ही मिलेगा lलेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम बुरे अनुभवों के बेस पर पूरे अनुभवों में आकर कर्मों को करना ही छोड़ दे lअच्छे कर्मों से वह निराश कर दे l
कर्म निरंतर होने चाहिए
उदाहरण के तौर पर आप ऑफिस जाते हैं अपने ऑफिस में अपने एक को वर्कर से मिलते हैं और वह को वर्कर ज्यादा कोई अच्छा या अच्छे स्वभाव का नहीं है यह हो सकता है उसको ज्यादा बात करने पसंद नहीं है लेकिन आपको अच्छे से बातें करना पसंद है और हर सुबह आप जाकर उसे गुड मॉर्निंग करके जाते हैं और बदले में वह इंसान कुछ नहीं कहता वह इंसान आपको एक अजीब सी शक्ल दिखा देता है lअगले दिन दोबारा जब ऑफिस जाते हैं दोबारा से गुड मॉर्निंग बोलते हैं लेकिन फिर दोबारा से व्यक्ति एक अजीब से शक्ल दिखा देता है l दोबारा वही करते हैं लेकिन फिर भी वही होता है l
चौथे दिन दोबारा वही करते हैं फिर वही होता है अगले दिन जब दोबारा हमसे गुड मॉर्निंग करते हैं वह आदमी वह व्यक्ति हो सकता है आपको पलट के एक स्माइल देकर गुड मॉर्निंग कह दे lअभी तक वह व्यक्ति आपसे अच्छी तरह से नहीं बोल रहा था हो सकता है उसके घर में कुछ प्रॉब्लम हो रही हों l
हो सकता है उसके जीवन में कुछ कठिनाई हो गई हो lउसे वह निकल नहीं पा रहा हो l जो मॉर्निंग आपके लिए अच्छा हो सकता है वह मॉर्निंग उस व्यक्ति के लिए अच्छा नहीं है lलेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि उसे व्यक्ति को केवल एक बार गुड मॉर्निंग का कर आप छोड़ देl एक अनुभव के आधार पर आप अपने पूरे कर्मों का दायरा निश्चित नहीं कर सकतेl आप कम करना नहीं छोड़ सकतेl
निष्कर्ष- कर्मों का फल ज़रूर मिलेगा
कर्म करते रहिये, सुकर्म करते रहिये, फल आपके कर्मों से आएगा लेकिन कर्मों का फल मिलेगा ज़रूर ल आज आपको सुकर्म करने की सीढ़ी पर छोड़ कर जा रहा हूँ l अगले आर्टिकल में मिलते हैं एक नए टॉपिक के साथ l