मोटिवेशनल कहानियां – जिंदगी बर्बाद करनेवाली एक चाह -1 wish to blast life
Table of Contents
क्या होगा यदि यह मान ले कि यह पूरा संसार मेरा है? हमारे जीवन की सभी कठिनाइयों और मुश्किलें अपनेपन की चाह की भावना से ही उत्पन्न होती हैं l गीता का पहला उपदेश हमें यही सिखाता है कि अपनेपन की चाह हम जितनी करेंगे , उतना ही हम अपनी आत्मा और ईश्वर से दूर होते जाएंगे l
कहानी का शीर्षक -जिंदगी बर्बाद करनेवाली एक चाह
You may also like : 5 बातें जो सिखाएंगी कि आत्मविश्वास क्या है ?
एक बार की बात है एक छोटा सा गांव था उसे गांव में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था l उनकी कोई संतान नहीं थी lब्राह्मण के पत्नी सदैव ब्राह्मण से मां बनने की इच्छा जताती थी l किंतु बहुत वर्ष पीटने के बाद भी उनकी कोई संतान नहीं हुई l इस कारण से ब्राह्मण की पत्नी सदैव उदास में दुखी रहती थी l
ब्राह्मण को यह देखकर कथा भी अच्छा नहीं लगता था l एक दिन ब्राह्मण ने, यह देखकर कि उसकी पत्नी उदास रहती है, उसके लिए एक तोता लेकर आया l ब्राह्मण के पत्नी ने जब वह तोता देखा तो वह तोता देखकर बहुत पसंद हुई l वह तोता रंग बिरंगा था l देखने में बहुत ही आकर्षक और मनभावन था l ब्राह्मण की पत्नी बहुत खुश हुई और उसने उसे तोते को रख लिया और दिन रात उसी के साथ समय बिताने लगी l ब्राह्मण को यह देखकर अच्छा लगता था कि अब उसकी पत्नी उदास नहीं होती l
ब्राह्मण की पत्नी को तोते से इतना लगाव हो गया था कि वह तोते को अपनी आंखों से कभी दूर नहीं रहने देती थी l उसने जैसे उसे तोते को अपने जीवन का एक उद्देश्य बना लिया था l बिना तोते को देख ना ही वह अपनी सुबह करती थी ना ही खाना खाती थी नहीं अन्य कामों की शुरुआत करती थी l
ब्राह्मण की पत्नी ने उसे तोता का नाम जीव रख दिया l बड़े प्यार से वह जीव को खाना खिलाती और उसकी देखभाल करती थी किंतु कभी भी उसे पिंजरे में नहीं रखती थी l वह उसको अपने पुत्र के समान प्यार करने लगी l तोता भी ब्राह्मण की पत्नी के साथ बहुत खुश रहता था l
काफी समय बीत गया और सावन का मौसम आया l जब सावन का मौसम आया तो उसे समय गांव में बहुत अधिक तोता दिखाई देते थे l यह वह तोते थे जो दूसरे गांव से आए हुए थे l गांव बहुत ही सुंदर दिख रहा था l एक दिन जब ब्राह्मण की पत्नी घर में काम कर रही थी और जीव घर के बारामती में बैठा हुआ था, बहुत सारे तोतों का झुंड बरामदे में आकर बैठ गया l
उसने इतनी अधिक सोते कभी नहीं देखे थेl वह इतने अधिक तोतों को देखकर आश्चर्यचकित भी हुआ और खुश भी हुआ यह सोचकर क्योंकि उसने अभी तक अपने जैसा कोई पक्षी नहीं देखा था l जब में जब उन दोस्तों को देखा तो उसे ऐसा लगा कि उसे उन्हें तोतों के साथ रहना चाहिए क्योंकि वह उनके जैसा ही दिखता हैl
कई महीने बीत गए l तोतों का झुंड वापस दूसरे गांव में जाने लगा l तभी जीव ने उन तोतों को कहा-‘ मैं भी तुम्हारे साथ चलना चाहता हूं’ l झुंड में से तोतों की मुखिया बोली ,’ तुम हमारे ही हो तुम्हें हमारे साथ ही चलना चाहिए’l जीव यह सुनकर बहुत प्रसन्न हो गया और उसने ठान लिया कि अब वह ब्राह्मण की पत्नी के साथ न रहकर अपने जैसे दिखने वाले पक्षियों के साथ रहेगा l
जब ब्राह्मण की पत्नी बाहर आई l तो उसने देखा कि बरामदे में जी बैठा हुआ है वह सारे तोतों की झुंड के साथ l ब्राह्मण की पत्नी तोते के लिए कुछ खाना कुछ दाने लेकर आई थी किंतु जीव बोला -‘ अब वह मेरा जाने का समय है अब मुझे जाना है ‘ ब्राह्मण की पत्नी यह सुनकर बहुत दुखी हो गई और आश्चर्यचकित भी हो गईl
ब्राह्मण की पत्नी को यह है विश्वास नहीं हो रहा था कि जिस तोते को उसने जब से वह आया था इतनी देखभाल की थी और अब तहत होता बिना कुछ बताएं बिना कुछ सोचे बिना कुछ चिंता किए उसे ब्राह्मण की पत्नी की ऐसे ही उसे छोड़कर जा रहा है उसे समय ब्राह्मण की पत्नी को यह एहसास हुआ कि जितने प्रेम और जितने प्यार से वह तोते को रख रही थी तोते के मन में ना ही उतना प्यार था और ना ही उतना प्रेम ब्राह्मण की पत्नी के लिए l
और थोड़ी ही देर में जीव बाकी तोते की झुंड के साथ उड़ गया हमेशा हमेशा के लिए ब्राह्मण की पत्नी को छोड़कर l ब्राह्मण की पत्नी रोती रही विलाप करती रही किंतु जीव ने एक न सुनी l ब्राह्मण की पत्नी अकेली पड़ गई और जीव बाकी तोते की झुंड के साथ उड़ के चला गया l
ब्राह्मण की पत्नी ने जीव को अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया था बिना यह सोचे समझे कि उसके जीवन का उद्देश्य कोई दूसरा व्यक्ति या कोई दूसरी वस्तु नहीं हो सकती lउसके जीवन का उद्देश्य तो उसकी अंदर की आत्मा है lअपने मन को जानना ही उसके जीवन का उद्देश्य होना चाहिए l
कहानी की सीख
यदि हम यह मान ले की यह सारा संसार हमारा है और संसार की सारी वस्तु हमारी है, तो हमें जीवन में कठिनाइयां ही मिलेगी l हमें सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए, हर व्यक्ति और हर वस्तु का अपना एक व्यक्तित्व और अस्तित्व होता है l संसार की सारी वस्तुएं और सारे व्यक्ति हमारे नहीं हो सकते l अपनेपन की चाह को त्यागीय, कर्म करते रहिएl