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मोटिवेशनल कहानियां -आत्मविश्वास

मोटिवेशनल कहानियां -आत्मविश्वास इतिहास को जन्म देता हैl

मोटिवेशनल कहानियां -आत्मविश्वास इतिहास को जन्म देता हैl

जय श्री कृष्णा जय भगवत गीता l जैसा कि आप यह सभी जानते हैं कि हमारा यह ब्लॉक भगवान कृष्ण की सुनाई हुई भागवत गीता पर आधारित है और एक ऐसा प्रयास है जिससे कि मोटिवेशनल कहानियां के द्वारा जीवन में उत्साह को बढ़ाया जा सके और इसी उद्देश्य से इस श्रृंखला को आगे बढ़ते हुए ,यह एक श्रृंखला है- मोटिवेशनल कहानियां l इस मोटिवेशनल कहानी का शीर्षक है आत्मविश्वास इतिहास को जन्म देता हैl

आत्मविश्वास इतिहास को जन्म देता हैl

एक बार की बात है एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन था lवह विदेश में रहता था उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी l उसने अपने जीवन में बहुत मेहनत करके धन और समृद्धि को कमाया था l वह अपनी पत्नी और पुत्र के साथ विदेश में ही रहता था और वहीं से अपना सारा बिजनेस चलता था l

एक समय ऐसा आया जब उसे लगा कि उसका पुत्र अब बड़ा हो रहा है और अब उसे उसके बिजनेस को संभाल लेना चाहिए l वह खुश था यह सोचकर कि वह और उसका पुत्र एक साथ अपने बिजनेस को चलाएंगे l किंतु कुछ ही महीने बाद उसे ऐसा लगने लगा कि उसका स्वास्थ्य है उसका साथ छोड़ रहा हैl उसने अपनी पत्नी से इस बारे में बात की और यह है सोचा कि अब उसके पुत्र को उसका बिजनेस संभाल लेना चाहिए l उसे थोड़ा आराम करना चाहिए क्योंकि उसका स्वास्थ्य अच्छा नहीं है l

उसका पुत्र 25 साल का हो गया था l उसकी पत्नी को पूरा विश्वास था कि उसका पुत्र भली भांति और बड़ी अच्छी तरह से उसके बिजनेस को संभाल लेगा l किंतु कहीं ना कहीं बिजनेसमैन को पता था कि अभी भी उसके पुत्र को बहुत कुछ सीखना होगा पूरा बिजनेस संभालने के लिए l जहां उसकी तबीयत बिगड़ती जा रही थी और उसे यह चिंता सता रही थी कि इतना बड़ा बिजनेस कौन कैसे संभालेगा और उसका पुत्र अभी उसे संभालने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है l

एक दिन जब वह अपने कमरे में बिस्तर पर लेटा हुआ था तो उसने अपने पुत्र को बुलाया l उसने अपने पुत्र से कहा,’ देखो बेटा, मैंने यह सब बहुत मेहनत करके कमाया है और यह मेरा सपना है कि मैंने जो कुछ भी कमाया है उसे मैं उसे ईश्वर की चरणों में ही समर्पित कर दो इसीलिए मैंने यह सोचा है कि मैं अपना सारा बिज़नस एक ट्रस्ट को दे दूंगा l’ उसका पुत्र यह सुनकर बहुत गुस्से में आ गया और बोला,’ तो मेरे लिए क्या होगा पिताजी?’

बिजनेसमैन ने कहा,’ तुम्हें अपनी पूरी लगन के साथ ही अपना कार्य और अपना बिजनेस खड़ा करना होगा अगर तुम इस लायक हो तो यह काम कर पाओगे l’ यह सुनकर उसका पुत्र गुस्से में आ गया और उसने बड़े ही आवेश में आकर कहा,’ आप क्या सोचते हैं मैं कुछ नहीं कर सकता? मेरे अंदर आपसे भी अधिक काबिलियत हैl और मैं आपको अपना खुद का बिज़नेस खड़ा करूंगा और दिखाऊंगा कि मेरे अंदर कितनी काबिलियत है l’ यह कहकर पुत्र वहां से चला गया l

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उसकी पत्नी को थोड़ी चिंता हुईl उसे देखकर बिजनेसमैन ने कहा,’ तुम घबराओ मत, मुझे पता है वह एक महीने में वापस आएगा क्योंकि वह अपना बिजनेस खड़ा नहीं कर पाएगा l एक महीना पूरा हो गया और जैसे कि बिजनेस मैंने कहा था उसका बेटा वापस आया और आते ही उसने बताया कि कैसे उसने एक बिजनेस शुरू करने की सोचती थी किंतु वह उसे नहीं कर पाया l

थे बिजनेसमैन ने कहा,’ कोई बात नहीं बेटा मैं तुम्हें थोड़ी पैसे देता हूं उन पैसों से तुम अपना एक और बिज़नेस खड़ा करने की सोचो l यह सुनकर उसका बेटा फिर गुस्से में आ गया उसने सोचा कि वह उसके प्रश्नों का मजाक उड़ा रहे हैं और गुस्से में आकर फिर बोल कर चला गया कि अब मैं आपको दिखाऊंगा इस बार मैं अच्छा बिजनेस खड़ा करूंगा l

उसके जाने के बाद बिजनेसमैन ने अपनी पत्नी को दोबारा समझाया कि वह चिंता ना करें क्योंकि उसका पुत्र अभी एक महीने में दोबारा आएगा क्योंकि वह अभी भी अपना बिजनेस शुरू नहीं कर पाएगा तो उसे चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है और वह चैन से सो जाए l

और जैसा कि बिजनेस मैंने सोचा था वैसा ही हुआ l उसका बेटा फिर दोबारा फेल हो गया l उसका बेटा जैसे ही आया वह अपने पिता के पैरों में बैठ गयाl वह बोला,” मैंने इतने प्रयास कर लिए इन दो महीना में और हर बार मुझे केवल फैलियर ही मिला है l मैं निराश हो गया हूं हां किंतु थकl नहीं हूं l

आप चिंता न कीजिए पिताजी जैसा कि आपने सोचा था और जैसा आपका सपना था कि मैं अपना बिजनेस खुद खड़ा करूं मैं वैसा ही करूंगा और उसके लिए आपको मुझे पैसे देने के लिए भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि मैंने कुछ पैसे जमा किए हैं मैं उन्हें पैसों से अपना बिजनेस खड़ा करूंगा l और यह कहकर जैसे ही उसका बेटा उठने लगा तो उसके पिता ने उसका हाथ पकड़ लिया l

उसकी पत्नी ने उससे पूछा वह जब भी कोई डिसीजन लेता था और उठकर चला जाता था आपने कभी उसे पकड़ नहीं किंतु आज आपने उसका हाथ क्यों पकड़ लिया l उसे बिजनेसमैन ने बोला,’ क्योंकि मुझे यह पता है कि एक महीने बाद जब मेरा बेटा आएगा तो वह जी बिजनेस को शुरू करने का सपना लेकर जा रहा है उसे बिजनेस को एक नया आयाम देकर आएगा l’

उसके बेटे ने पूछा,’ पिताजी में खुश हूं किंतु आपको मुझ पर इतना विश्वास है?’ उसे बिजनेसमैन ने कहा -‘ बेटा हाथ से पहले जब भी तुम यहां से गए और एक बिजनेस को शुरू करने की बात कह कर गए तुम हमेशा अहंकार से भरे हुए थे l एक व्यक्ति जब अहंकार से भरा होता है वह कभी जिंदगी में सफल नहीं हो सकता l और इसीलिए तुम कभी सफल नहीं हो पाए l

लेकिन इस बार जब तुम जा रहे हो तो तुम अहंकार से नहीं आत्मविश्वास से भर कर जा रहे हो l और मुझे यह पूर्ण विश्वास है चाहे एक महीना लग जाए या 1 साल लग जाए , तुम अपने बिजनेस को जब तक एक वास्तविक रूप नहीं दे देते तुम अब वापस लौटकर नहीं आओगे l क्योंकि इस समय तुम अपने आत्मविश्वास से भरे हुए हो l और मुझे यह पूर्ण विश्वास है कि जब मैं अपने बेटे से दोबारा मिलेगा वह एक ऐसा व्यक्ति होगा जिसने इतिहास में अपना नाम लिखा होगा l

तुम आज आत्मविश्वास से भरे हुए हो और यह आत्मविश्वास एक इतिहास को जन्म देता है l मां अब तुम्हारे अंदर अहंकार नहीं आत्मविश्वास है l उसे पिता ने पुत्र को आशीर्वाद दिया और वह पुत्र अपने माता और पिता से आज्ञा लेकर अपने जीवन को एक नया आकार देने के लिए अपनी एक नई राह पर निकल पड़ा l

कहानी की सीख

जब हम अहंकार से भरे होते हैं तो हमें कभी किसी कार्य में सफलता नहीं मिलतीl लेकिन जब हम आत्मविश्वास से भरे होते हैं तो जिस कार्य को हम करते हैं यह आत्मविश्वास हमारे द्वारा एक इतिहास को जन्म देता है l

जय श्री कृष्णा जय भगवत गीता

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